भारत-ब्रिटेन रक्षा साझेदारी पर जोर: तीन बड़ी रक्षा डील पर सहमति
भारत और ब्रिटेन के बीच रणनीतिक संबंधों को नई ऊँचाइयों पर ले जाते हुए दोनों देशों ने तीन महत्वपूर्ण रक्षा समझौतों पर सहमति जताई है। इस समझौते के तहत रक्षा तकनीक, संयुक्त उत्पादन और उन्नत मिसाइल प्रणालियों के विकास पर सहयोग को मज़बूत किया जाएगा। यह साझेदारी हिंद-प्रशांत क्षेत्र में सुरक्षा संतुलन को नया स्वरूप दे सकती है।
✍️ मुख्य बिंदु
तीन रक्षा समझौते: मिसाइल सिस्टम, टेक्नोलॉजी ट्रांसफर और संयुक्त उत्पादन
हिंद-प्रशांत क्षेत्र में सहयोग पर विशेष ज़ोर
भारत के नेतृत्व और रणनीतिक भूमिका की ब्रिटिश प्रधानमंत्री द्वारा प्रशंसा
🌐 रणनीतिक महत्व
समझौते के तहत भारत और ब्रिटेन मिलकर अत्याधुनिक मिसाइल प्रणालियों के विकास में निवेश करेंगे। ब्रिटेन रक्षा तकनीक साझा करने पर भी सहमत हुआ है, जिससे भारत की “आत्मनिर्भर रक्षा” नीति को मज़बूती मिलेगी। साथ ही, दोनों देश हिंद-प्रशांत क्षेत्र में संयुक्त नौसैनिक अभ्यासों और खुफिया साझेदारी को भी आगे बढ़ाएंगे।
ब्रिटिश प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर ने इस अवसर पर कहा,
“भारत न केवल एक महत्वपूर्ण साझेदार है, बल्कि वैश्विक शांति और स्थिरता में एक निर्णायक शक्ति बनकर उभर रहा है। हम इस साझेदारी को दीर्घकालिक रूप से आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।”
भारत की भूमिका
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इन समझौतों का स्वागत करते हुए कहा कि यह साझेदारी “नए युग की शुरुआत” है और इससे दोनों देशों की रक्षा क्षमताएँ और सहयोग “अभूतपूर्व स्तर” पर पहुँचेंगे। भारत ने साफ संकेत दिया है कि वह अब केवल रक्षा सामग्री का उपभोक्ता नहीं, बल्कि वैश्विक रक्षा तकनीक का उत्पादक और साझेदार बनना चाहता है।
📝 पृष्ठभूमि
भारत और ब्रिटेन के बीच रक्षा संबंध पिछले कुछ वर्षों में लगातार गहराए हैं। हाल के वर्षों में दोनों देशों ने कई संयुक्त सैन्य अभ्यास किए हैं। ब्रेक्ज़िट के बाद ब्रिटेन हिंद-प्रशांत क्षेत्र में अपनी उपस्थिति मज़बूत करना चाहता है, और भारत को इस रणनीति में एक मुख्य स्तंभ के रूप में देखा जा रहा है।
🌍 वैश्विक असर
विशेषज्ञों का मानना है कि यह डील चीन की बढ़ती सैन्य गतिविधियों के बीच हिंद-प्रशांत में शक्ति संतुलन पर महत्वपूर्ण प्रभाव डालेगी। साथ ही यह साझेदारी भारत को यूरोपीय तकनीकी क्षमताओं के साथ जोड़कर वैश्विक रक्षा बाज़ार में उसकी स्थिति को और मज़बूत करेगी।
📌 निष्कर्ष
भारत-ब्रिटेन की यह नई रक्षा साझेदारी केवल सैन्य सौदा नहीं, बल्कि दो लोकतांत्रिक राष्ट्रों के बीच दीर्घकालिक सामरिक गठबंधन की दिशा में एक बड़ा कदम है। यह साझेदारी न सिर्फ दोनों देशों के लिए, बल्कि क्षेत्रीय और वैश्विक सुरक्षा परिदृश्य के लिए भी निर्णायक साबित हो सकती है।