अशांत वैश्विक माहौल में भारत का उदय: नई विश्व व्यवस्था में रणनीतिक भूमिका के लिए तैयार
भारत के विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने कहा है कि भारत का उदय ऐसे समय में हो रहा है जब विश्व एक बड़े भू-राजनीतिक और आर्थिक बदलाव के दौर से गुजर रहा है। उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि भारत न केवल इन बदलावों का साक्षी बन रहा है, बल्कि नई वैश्विक व्यवस्था में वह रणनीतिक रूप से एक प्रमुख भूमिका निभाने जा रहा है। जयशंकर ने यह टिप्पणी एक अंतरराष्ट्रीय नीति सम्मेलन में अपने संबोधन के दौरान की।
✍️ मुख्य बिंदु
भारत का उदय “अशांत वैश्विक माहौल” में हो रहा है
नई वैश्विक व्यवस्था में भारत को रणनीतिक रूप से स्थापित करने पर ज़ोर
बहुध्रुवीय विश्व व्यवस्था में भारत की भूमिका पर चर्चा
विदेश मंत्री ने आत्मनिर्भरता और बहुपक्षीय सहयोग पर बल दिया|
🧭 जयशंकर का बयान
जयशंकर ने कहा,
“आज विश्व एक संक्रमण काल में है — पुराने गठबंधन टूट रहे हैं और नए बन रहे हैं। इस समय भारत का उदय केवल आर्थिक नहीं, बल्कि रणनीतिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। हमें अपनी विदेश नीति को इस तरह ढालना होगा कि भारत नई व्यवस्था में एक निर्णायक शक्ति बन सके।”
उन्होंने यह भी कहा कि भारत अब “नीतियों का अनुयायी” नहीं बल्कि “निर्माता” बनना चाहता है। भारत की विदेश नीति का उद्देश्य वैश्विक मंचों पर सक्रिय भूमिका निभाना, क्षेत्रीय स्थिरता को बढ़ावा देना और बहुपक्षीय साझेदारियों को सशक्त बनाना है।
🌐 वैश्विक परिप्रेक्ष्य
जयशंकर ने स्पष्ट किया कि अमेरिका-चीन प्रतिस्पर्धा, यूरोप में सुरक्षा चिंताएँ, पश्चिम एशिया में अस्थिरता और जलवायु परिवर्तन जैसे मुद्दों के बीच भारत एक “स्थिर और विश्वसनीय शक्ति” के रूप में उभर रहा है। उन्होंने कहा कि भारत की विदेश नीति अब “रणनीतिक स्वायत्तता” और “वैश्विक जिम्मेदारी” के सिद्धांतों पर आधारित है।
भारत की रणनीति
भारत ने हाल के वर्षों में Quad, BRICS, SCO जैसे मंचों पर अपनी सक्रिय भागीदारी से यह संकेत दिया है कि वह वैश्विक शक्ति समीकरणों को प्रभावित करने की क्षमता रखता है। जयशंकर ने कहा कि भारत की प्राथमिकता यह सुनिश्चित करना है कि वैश्विक व्यवस्था में उसके हित और मूल्य दोनों सुरक्षित रहें, और वह दुनिया के लिए एक विश्वसनीय साझेदार के रूप में उभरे।
📝 पृष्ठभूमि
भारत की विदेश नीति में पिछले एक दशक में उल्लेखनीय परिवर्तन हुए हैं। पारंपरिक ‘गुटनिरपेक्ष’ दृष्टिकोण से आगे बढ़ते हुए भारत ने अब “मल्टी-अलाइनमेंट” (Multi-alignment) की नीति अपनाई है — यानी अलग-अलग देशों और समूहों के साथ लचीले लेकिन रणनीतिक गठबंधन। यह नीति भारत को कई मंचों पर एक साथ प्रभाव डालने की क्षमता देती है।
🌍 वैश्विक असर
विशेषज्ञों के अनुसार, भारत का यह दृष्टिकोण विश्व राजनीति में एक “संतुलनकारी शक्ति” के रूप में उसकी स्थिति को मजबूत कर रहा है। जलवायु परिवर्तन, आर्थिक आपूर्ति श्रृंखला और क्षेत्रीय सुरक्षा जैसे मुद्दों पर भारत की सक्रिय भूमिका वैश्विक नीतियों को प्रभावित कर सकती है।
📌 निष्कर्ष
भारत की विदेश नीति अब पारंपरिक सीमाओं से निकलकर एक व्यापक और आत्मविश्वासी दिशा में आगे बढ़ रही है। जैसे-जैसे वैश्विक शक्ति संतुलन बदल रहा है, भारत की भूमिका न केवल क्षेत्रीय बल्कि वैश्विक स्तर पर निर्णायक होती जा रही है। विदेश मंत्री जयशंकर का बयान इस परिवर्तन की दिशा और भारत की रणनीतिक दृष्टि को स्पष्ट रूप से दर्शाता है।